कालसर्प दोष पूजा कब होती है?

क्या आपकी कुंडली में काल सर्प दोष है? क्या आपको लगातार असफलताएँ और तनाव घेरे रहते हैं? कालसर्प दोष, जिसमें राहु-केतु कुंडली के सभी ग्रहों को “सर्पाकार” घेर लेते हैं, और जीवन में अशांति का कारण बनता है। परंतु चिंता न करें! इस लेख में हम न सिर्फ आपको काल सर्प दोष पूजा के शुभ मुहूर्त बताएँगे, बल्कि कुछ ऐसे रहस्यमयी तरीके भी बताएँगे जिनसे आप शायद अभी तक अनजान हैं। 

भारतीय ज्योतिष में काल सर्प दोष को एक गंभीर दोष माना जाता है, जो किसी व्यक्ति के जीवन में आर्थिक, मानसिक, और पारिवारिक समस्याएं लाता है। यह दोष तब बनता है जब कुंडली के सभी ग्रह राहु और केतु के बीच “सर्पाकार” स्थिति में आ जाते हैं। इस दोष से मुक्ति के लिए काल सर्प दोष पूजा की जाती है। इस पूजा के लिए शुभ मुहूर्त की जानकारी होना पूजा को अधिक फलदायी बनाता है। जो की निम्न लिखित है।

कालसर्प दोष पूजा कब करें?

कालसर्प दोष वैदिक ज्योतिष में गंभीर दोष माना जाता है जिसका निवारण करना बहुत जरूरी होता है जिससे व्यक्ति का जीवन सुखमय और शांतिपूर्ण रहे। लेकिन इस दोष के निवारण के लिए पूजा मुहूर्त की सही जानकारी होना आवश्यक है, तभी यह पूजा फलदायी मनी जाती है। पूजा के शुभ मुहूर्त व तिथि की जानकारी जानने के लिए उज्जैन के अनुभवी पंडित विजय जोशी जी द्वारा दिये गए समय सारणी का विवरण करे जो की निम्नलिखित है:

  • नाग पंचमी : कालसर्प दोष निवारण के लिए विशेष रूप से नाग देवता की विधिवत पूजा की जाती है। नाग देवता की कृपा पाने के लिए नाग पंचमी का दिन सर्वोत्तम है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्रावण मास की नाग पंचमी विशेष फलदायी मानी जाती है।
  • ग्रहण काल की शक्ति: सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय पूजा करने से राहु-केतु का प्रभाव 10 गुना बढ़ जाता है। इस दौरान “ओम नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना चमत्कारी होता है।
  • अमावस्या की अदृश्य ऊर्जा: अमावस्या की रात को घर में कालसर्प यंत्र की स्थापना करने से नकारात्मकता दूर होती है, और इस दोष के नकारात्मक प्रभाव से छुटकारा मिलता है।
  • मंगलवार या शनिवार: मंगलवार और शनिवार के दिनों में हनुमान जी और भगवान शिव की पूजा करने से राहु-केतु शीघ्र प्रसन्न होते हैं। तथा मंत्र जाप करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
  • पूर्णिमा : कुंडली के अष्टम भाव या द्वादश भाव में दोष होने पर पूर्णिमा के दिन पूजा करें।
  • श्रावण मास: श्रावण मास को भगवान शिव को प्रसन्न करने का महिना माना जाता है और कालसर्प दोष को कम करने के लिए भगवान शिव की कृपा को आधार बताया गया है। श्रावण मास में कालसर्प दोष पूजा करने से इस दोष से छुटकारा पा सकते है। यह पूजा श्रावण मास मे कराना अत्यंत लाभकारी और फलदायक होती है।

कालसर्प दोष के उपाय

महामृत्युंजय मंत्र का जाप: इस दोष के निवारण के लिए प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करना लाभकारी होता है। यह मंत्र इस प्रकार है: “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”

शिवलिंग पर दूध अर्पित करना: नियमित रूप से शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाना और विशेषकर सोमवार के दिन विधिपूर्वक अभिषेक करना कालसर्प दोष के अशुभ प्रभावों को कम करने में सहायक होता है।

हनुमान चालीसा का पाठ: नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करना और मंगलवार के दिन हनुमान जी पर सिंदूर, चमेली का तेल और बताशा चढ़ाना लाभकारी होता है।

नाग पंचमी के दिन विशेष उपाय: नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करना और सांप की मूर्ति को दूध अर्पित करना कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।

कालसर्प दोष पूजा विधि

यह पूजा करने से पहले अनुभवी पंडित जी से इसकी पूजा विधि की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करना अत्यंत आवस्यक है जो की निम्नलिखित तरीके से बताई गई है:

  • स्नान और व्रत: पूजा से पहले स्नान करके व्रत रखना शुभ माना जाता है।
  • नाग देवता की प्रतिमा: चांदी या पीतल की नाग प्रतिमा स्थापित कर उसे दूध, फूल, और चंदन अर्पित किए जाते हैं।
  • मंत्रोच्चार: “ॐ नमः शिवाय”“ॐ कुरुकुल्ले ह्रीं फट स्वाहा” जैसे मंत्रों का जाप किया जाता है।
  • हवन और दान: पूजा के अंत में हवन करके ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, या दक्षिणा दान दी जाती है।

पूजा का महत्व और लाभ

  • ग्रह दोष शांति: यह पूजा राहु-केतु के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है।
  • सुख-समृद्धि: पारिवारिक कलह और आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है।
  • मानसिक शांति: डर, तनाव, और अवसाद जैसी समस्याओं में कमी आती है।

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा कैसे बुक करें?

काल सर्प दोष पूजा एक शक्तिशाली उपाय है, लेकिन इसे विधिवत और सही मुहूर्त में करना आवश्यक है। इसके लिए किसी विश्वसनीय ज्योतिषी से सलाह लेना और अपनी कुंडली की गहन जांच कराना महत्वपूर्ण है। उज्जैन मे कालसर्प दोष पूजा बुक करने के लिए उज्जैन के अनुभवी पंडित विजय जोशी जी से नीचे दिये गए नंबर पर संपर्क करें और अपनी पूजा बुक करें।

Leave a Comment

Scroll to Top