कर्कोटक कालसर्प दोष जीवन में अप्रत्याशित संकटों का संकेत देता है, लेकिन नियमित पूजा और सावधानियों से इसके प्रभाव को 60-70% तक कम किया जा सकता है। किसी अनुभवी ज्योतिषी से अपनी कुंडली की पूर्ण जाँच अवश्य कराएं।
कर्कोटक कालसर्प दोष क्या है?
कर्कोटक कालसर्प दोष, कालसर्प योग का आठवां प्रकार है, जो तब बनता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली मे:
- राहु अष्टम भाव (मृत्यु/रहस्य का स्थान) में हो
- केतु द्वितीय भाव (धन/वाणी) में स्थित हो
- अन्य सभी ग्रह इन दोनों के बीच आ जाएं
यह दोष विशेष रूप से कर्ज, आकस्मिक दुर्घटनाओं और वित्तीय संकटों से जुड़ा माना जाता है। यह बहुत ही गंभीर दोष माना जाता है।
कर्कोटक कालसर्प दोष के प्रभाव
कर्कोटक कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति के जीवन मे कई सारी परेशानियाँ और नाकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते है, जो की निम्नलिखित है:
1. आर्थिक प्रभाव
- अचानक धन हानि होना।
- कर्ज का बोझ या चुकाने में अत्यधिक कठिनाई का सामना करना।
- संपत्ति विवाद या अप्रत्याशित कर भार होना।
2. स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव
- पुरानी बीमारियां, पाचन तंत्र व हड्डियों से जुड़ी समस्याएं होना।
- आकस्मिक चोटें, दुर्घटना या सर्जरी का खतरा (विशेषकर 8वें भाव के कारण) बना रहना।
- मानसिक तनाव, अनिद्रा और चिंता विकार का होना।
3. सामाजिक व पारिवारिक प्रभाव
- गुप्त शत्रु, छुपे हुए दुश्मनों द्वारा हानि।
- पारिवारिक कलह, रिश्तेदारों के साथ तनाव
- विश्वासघात, करीबी लोगों द्वारा धोखा होना।
4. करियर व व्यवसाय पर प्रभाव
- नौकरी में अस्थिरता या बार-बार कार्यक्षेत्र बदलना
- व्यवसाय में रुकावट, अचानक नुकसान या साझेदारी टूटना।
- प्रोमोशन में बाधा, योग्यता के बावजूद उन्नति न मिलना।
कर्कोटक कालसर्प दोष के लक्षण
- अचानक धन हानि या वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार होना
- गुप्त शत्रुओं द्वारा परेशानी (छुपे हुए दुश्मन)
- दीर्घकालिक बीमारियाँ (विशेषकर पाचन या हड्डी संबंधी)
- आकस्मिक दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ना
- पारिवारिक विरासत में विवाद या हानि
कर्कोटक कालसर्प दोष के उपाय
शिव आराधना – रुद्राभिषेक
- सोमवार को सुबह शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से अभिषेक करें। भगवान शिव को बिल्व पत्र अर्पित करें तथा “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
नाग देवता की विशेष पूजा
नाग पंचमी या किसी भी शनिवार के दिन चांदी के नाग-नागिन के जोड़े की पूजा करें तथा नाग देवता को दूध, लाल फूल, चंदन आदि अर्पित करें। पूजा के बाद नाग प्रतिमा को नदी में विसर्जित करें।
रत्न धारण विधि
राहू-केतू के नकारात्मक प्रभाव को शांत करने के लिए रत्न धारण करना चाहिए। गोमेद रत्न राहू के लिए और लहसुनिया रत्न केतू के लिए किसी योग्य ज्योतिषीय की सहायता से धारण करना चाहिए।
मंत्र उच्चारण साधना
- प्रभावी मंत्र: इन मंत्रो का नियमित जाप करें।
- “ॐ ह्रीं ह्रीं सर्पदं स्त्रीं नमः”
- महामृत्युंजय मंत्र
दान-दक्षिणा महिमा
काले तिल और गुड़ शनिवार को दान करना चाहिए और लोहे की वस्तुएं जैसे: कड़ाही, छुरी आदि का दान करना चाहिए ये बहुत लाभकारी सिद्ध होता है।
कर्कोटक कालसर्प दोष निवारण पूजा
उज्जैन में कर्कोटक कालसर्प दोष निवारण पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है जो मुख्यतः शिव मंदिरों में संपन्न कराई जाती है। इस पूजा में सर्वप्रथम शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद व शक्कर) से अभिषेक किया जाता है, साथ ही बिल्व पत्र, काले तिल और धतूरे के फूल अर्पित किए जाते हैं।
कर्कोटक दोष निवारण हेतु यह पूजा अष्टम भाव के राहु और द्वितीय भाव के केतु के अशुभ प्रभावों को कम करने में सहायक होती है। पूर्ण फल प्राप्ति के लिए इस पूजा को योग्य पंडित की देखरेख में ही कराना चाहिए और कम से कम 40 दिन तक नियमित रूप से संबंधित मंत्रों का जाप जारी रखना चाहिए।
कर्कोटक कालसर्प दोष पूजा का खर्च
कर्कोटक कालसर्प दोष पूजा उज्जैन में कराने के लिए पूजा के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है। और पूजा की सम्पूर्ण जानकारी, पूजा खर्च आदि जानने के लिए उज्जैन के योग्य और श्रेष्ठ पंडित योगेश शर्मा जी से संपर्क करें। पूजा खर्च ₹2,100 के लगभग हो सकता है।
उज्जैन में कर्कोटक कालसर्प दोष पूजा कैसे बुक करें?
कर्कोटक कालसर्प दोष पूजा उज्जैन में बुक करने के लिए आज ही उज्जैन के अनुभवी पंडित योगेश शर्मा जी से नीचे दिये गए नंबर पर कॉल करें और अपनी पूजा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। पंडित जी को पूजा-अनुष्ठान में 25 वर्षो से अधिक अनुभव प्राप्त है। पूजा बुक करने के लिए अभी काओल करें।