वैदिक ज्योतिष में कई प्रकार के योग और दोष होते हैं, लेकिन कालसर्प योग को विशेष रूप से अशुभ और काम में बाधा डालने वाला योग माना गया है। यह योग जातक के जीवन में अचानक बाधाएं, अस्थिरता, मानसिक तनाव, और आर्थिक संकट जैसे गंभीर प्रभाव उत्पन्न कर सकता है। पंडित विजय जोशी जी, जो उज्जैन के प्रसिद्ध विद्वान और ज्योतिषाचार्य हैं, इस योग पर अपने वर्षों के अनुभव और शास्त्रीय अध्ययन के आधार पर विशेष रूप से कहते हैं कि “कालसर्प योग केवल ग्रह योग नहीं, यह एक कर्म का दर्पण है।”
कालसर्प योग क्या होता है? यह योग कैसे बनता है?
जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सभी सात ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि) राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तो उसे कालसर्प योग कहा जाता है। यह योग किसी भी राशि और लग्न में बन सकता है, और यह जातक के जीवन के हर हिस्से पर प्रभाव डालता है।
कालसर्प का अर्थ
● “काल” का अर्थ है समय या मृयु के समक काल।
● “सर्प”र्प का अर्थ हैनाग या सांप।
● इस योग को “सर्पदर्प ंश के समान” जीवन मअवरोध उपन करनेवाला माना गया है।
कालसर्प योग के प्रमुख अशुभ प्रभाव – अनुभव और परंपरा के अनुसार
1. बार-बार असफलता और जीवन में स्थायित्व की कमी
कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव के चलते व्यक्ति अपने जीवन में कितनी भी मेहनत करे, लेकिन फल अपनी इच्छा के अनुसार नहीं मिलता। नौकरी, व्यवसाय या रिश्तों में स्थिरता नहीं बनती।
2. मानसिक तनाव और आत्मविश्वास में गिरावट
पंडित विजय जोशी जी के अनुसार, कालसर्प योग मन को भ्रमित करता है। व्यक्ति को लगता है कि कोई अदृश्य शक्ति उसकी प्रगति रोक रही है। कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति का मन हर समय चिंतित, परेशान और तनाव में रहता है।
3. विवाह और संतान संबंधी समस्याएं
- व्यक्ति के विवाह में देरी
- वैवाहिक जीवन में मतभेद
- संतान सुख में बाधा या संतान रोगग्रस्त हो सकती है।
4. आर्थिक संकट और कर्ज़ की स्थिति
धन आता है, लेकिन टिकता नहीं। बार-बार पैसों की तंगी और कर्ज़ का बोझ बढ़ता है। पंडित विजय जोशी जी इसे “पूर्व जन्म के ऋण योग का प्रतिफल” मानते हैं। जो की कालसर्प दोष का ही एक लक्षण है।
5. नींद की समस्या और डरावने सपने
कालसर्प योग से प्रभावित जातक को अक्सर नींद में डर, सर्पों के सपने, और मानसिक बेचैनी होती है।
कालसर्प योग के लिए पंडित विजय जोशी जी द्वारा बताए गए समाधान
1. कालसर्प दोष निवारण पूजा – उज्जैन में विशेष प्रक्रिया
- महाकाल वन में विशेष पूजा विधि
- सर्प प्रतीक ताम्र यंत्र का पूजन
- मंत्रजप (राहु, केतु, महामृत्युंजय)
- श्राद्ध या पितृ तर्पण यज्ञ
उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा के लिए विशेष मुहूर्त: नागपंचमी, श्रावण मास, अमावस्या
2. नियमित मंत्र जाप और साधना
- “ॐ रां राहवे नमः” – 108 बार
- “ॐ कें केतवे नमः” – 108 बार
- महामृत्युंजय मंत्र – 21 बार प्रतिदिन
3. पितृ दोष निवारण के साथ पूजन-विधि
कालसर्प योग अक्सर पितृ दोष से जुड़ा होता है। इसलिए पंडित विजय जोशी जी पितृ तर्पण, नारायण बलि और त्रिपिंडी श्राद्ध जैसे कर्म भी कराते हैं।
4. सेवा और संयम का मार्ग
- गौ सेवा, नाग दान, ब्राह्मण भोजन
- जल स्रोतों में ताम्र नाग यंत्र विसर्जन
- किसी गरीब कन्या की शिक्षा या विवाह में सहयोग
किसे कराना चाहिए कालसर्प योग की पूजा?
यदि आपकी कुंडली में निम्न लक्षण हैं तो आज ही उज्जैन के अनुभवी पंडित विजय जोशी जी से संपर्क करे और अपनी पूजा बुक करे।
- बार-बार असफलता
- नौकरी या व्यापार में स्थायित्व नहीं
- वैवाहिक समस्याएं
- मानसिक डर और अवसाद
- नींद में सपने और बेचैनी
क्या कालसर्प योग सिर्फ ग्रह स्थिति नहीं, आत्मा के कर्ज का संकेत है?
यह योग आपकी आत्मा के पुराने ऋणों को समाप्त करने का अवसर है। सही समय पर पूजा और उपाय करके जीवन का नया आरंभ किया जा सकता है। उज्जैन के अनुभवी पंडित विजय जोशी जी का मानना है कि :
- यह योग केवल कुंडली में ग्रहों की स्थिति से नहीं बनता, बल्कि यह अतीत के अधूरे कर्मों और पापों का फल है।
- इसका उद्देश्य व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर ले जाना होता है।
- जब व्यक्ति आत्मज्ञान, पूजा और सेवा की ओर बढ़ता है, तभी इसका प्रभाव घटता है।
उज्जैन में कैसे करे कालसर्प योग पूजा बुकिंग?
स्थान: महाकाल नगरी उज्जैन
विधि: शास्त्रीय पद्धति द्वारा विशेष पूजा
लाभ: संपूर्ण दोष शांति + मानसिक शांति + आध्यात्मिक जागरण
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