कालसर्प दोष कितने वर्षों तक रहता है?

कालसर्प दोष की अवधि मुख्य रूप से किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में राहु-केतु की स्थिति और उनकी गोचर गति पर निर्भर करती है। सामान्यतः यह दोष 18 से 20 वर्षों तक अपना प्रभाव बनाए रखता है, विशेषकर जब राहु 1, 4, 7 या 10वें भाव में हो। हालांकि, राहु-केतु की गोचर अवधि में इसका प्रभाव विशेष रूप से तीव्र हो जाता है।

यदि कालसर्प दोष, पितृ दोष या कर्म दोष से जुड़ा हो तो इसकी अवधि और लंबी भी हो सकती है। लेकिन उचित उपायों जैसे : नियमित रुद्राभिषेक, नाग पंचमी पर विशेष पूजा, महामृत्युंजय मंत्र जप और दान कर्म आदि से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। सामान्यतः 36-42 वर्ष की आयु के बाद या शुभ ग्रहों की दशा आने पर इस दोष का प्रभाव स्वतः ही कम होने लगता है।

कालसर्प दोष की सामान्य अवधि

  • जन्म कुंडली में बना कालसर्प दोष जीवन भर रह सकता है, लेकिन इसका प्रभाव 18-20 वर्षों तक सबसे अधिक होता है। इस दोष को कुंडली से हटाने के लिए या इसकी अवधि कम करने के लिए कालसर्प निवारण पूजा करना एक प्रभावी उपाय माना जाता है।
  • राहु-केतु की गोचर गति के अनुसार, कालसर्प दोष 7, 12 या 18 साल तक प्रबल रह सकता है। शनि, मंगल या सूर्य की स्थिति भी दोष की अवधि को प्रभावित करती है।
  • यदि राहु-केतु की महादशा/अंतर्दशा चल रही हो, तो इस दौरान दोष का प्रभाव और बढ़ जाता है।

कालसर्प दोष की अवधि के प्रमुख कारक

🔹 कुंडली में राहु-केतु की स्थिति

  • यदि राहु 1, 4, 7, 10वें भाव में हो तो दोष अधिक प्रभावी होता है। इसका प्रभाव 15-20 वर्ष तकरहता है।
  • यदि राहु 2, 3, 6, 11वें भाव में हो तो दोष मध्यम प्रभाव में होता है। इस दोष का प्रभाव 7-12 वर्ष तक रहता है।
  • 6, 8, 12वें भाव राहू स्थित होने पर इस दोष का प्रभाव कम होता है लेकिन अचानक संकट दे सकता है।

🔹 गोचर के अनुसार प्रभाव

  • राहु-केतु की गोचर अवधि में दोष का असर बढ़ जाता है।
  • शनि की साढ़ेसाती या ढय्या के साथ हो तो समस्याएं लंबी चलती हैं।

🔹 पूर्व जन्म के कर्मों का प्रभाव

  • यदि कालसर्प दोष पितृ दोष या कर्म दोष से जुड़ा है, तो इसकी अवधि बढ़ सकती है। इस दोष के प्रभावों को कम करने के लिए उज्जैन के अनुभवी पंडित योगेश शर्मा जी से संपर्क करें और अपनी पूजा बुक करें।

कालसर्प दोष कब समाप्त होता है?

  1. राहु-केतु की गोचर गति बदलने पर – जब राहु-केतु कुंडली में अनुकूल स्थान पर आ जाएं।
  2. शुभ ग्रहों की दशा आने पर – जैसे गुरु, शुक्र या शनि की अच्छी दशा।
  3. उपाय करने से – रुद्राभिषेक, नाग पूजा, दान आदि से दोष कम हो जाता है।
  4. आयु के अनुसार – 36-42 वर्ष की उम्र के बाद अक्सर इसका प्रभाव कम हो जाता है।

 क्या कालसर्प दोष स्थायी रूप से खत्म हो सकता है?

 हाँ, यदि निम्न उपाय किए जाएं तो इस दोष के प्रभाव को समाप्त किया जा सकता है:

कालसर्प यंत्र की स्थापना: शिव मंदिर में कलसर्प दोष यंत्र की स्थापना करने से।

महामृत्युंजय मंत्र : इस मंत्र का नियमित जाप नकारात्मक प्रभाव को खत्म करता है।

रुद्राभिषेक: भगवान शिव का रुद्राभिषेक 11 या 21 बार कराने से दोष समाप्त होता है।

नाग पंचमी पर विशेष पूजा: हर साल नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आराधना करने से इस दोष का प्रभाव कम होता है।

कालसर्प दोष के उपाय

  1. रुद्राभिषेक करें
    • महाकालेश्वर या किसी शिव मंदिर में दूध, घी, शहद और बिल्वपत्र से शिवलिंग का अभिषेक करें।
  2. नाग पंचमी पर विशेष पूजा
    • नाग देवता को दूध, फूल और धूप अर्पित करें।
    • “ॐ अनंताय नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।
  3. महामृत्युंजय मंत्र जप
    • “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…” मंत्र का 1.25 लाख बार जप करने से दोष कम होता है।
  4. कालसर्प यंत्र धारण करें
    • शिव मंदिर में यंत्र स्थापित कराएं या इसे काले कपड़े में लपेटकर धारण करें।
  5. दान-पुण्य करें
    • काले तिल, कंबल, लोहा या नमक का दान करें।
    • गरीबों को भोजन कराएं।
  6. रत्न धारण (ज्योतिषीय सलाह से)
    • गोमेद (राहु के लिए) या लहसुनिया (केतु के लिए) पहनें।
  7. शनिवार/अमावस्या का व्रत
    • इन दिनों एक समय भोजन करें और शिव-नाग देवता की आराधना करें।

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा कैसे कराएं?

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा कराने के लिए उज्जैन के अनुभवी पंडित योगेश शर्मा जी से संपर्क करें और पूजा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करे। पंडित जी को पूजा-अनुष्ठान में 8 वर्षों से अधिक अनुभव प्राप्त है। नीचे दिये गए नंबर पर संपर्क करे और अपनी पूजा बुक करें।

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