वैदिक शास्त्रों के अनुसार कालसर्प दोष एक गंभीर ज्योतिषीय योग है जिसके कारण जीवन में अनेक समस्याएं आती हैं। लेकिन उचित पूजा-विधि और नियमित उपायों से इस दोष के प्रभाव को शांत किया जा सकता है। यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श कर उचित उपाय अवश्य करें। श्रद्धा और विश्वास के साथ की गई पूजा अवश्य ही फलदायी होती है।
कालसर्प दोष ज्योतिष शास्त्र में एक गंभीर योग माना जाता है जो तब उत्पन्न होता है जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। इस दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में अनेक प्रकार की कठिनाइयों, आर्थिक समस्याओं और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।
कालसर्प दोष के प्रकार
कालसर्प दोष के अनेक प्रकार ज्योतिषशास्त्र में बताए गए है जो की निम्नलिखित है:
- अनंत कालसर्प दोष – जब राहु प्रथम भाव में और केतु सप्तम भाव में हो
- कुलिक कालसर्प दोष – राहु द्वितीय भाव में, केतु अष्टम भाव में
- वासुकी कालसर्प दोष – राहु तृतीय भाव में, केतु नवम भाव में
- शंखपाल कालसर्प दोष – राहु चतुर्थ भाव में, केतु दशम भाव में
- पद्म कालसर्प दोष – राहु पंचम भाव में, केतु एकादश भाव में
- महापद्म कालसर्प दोष – राहु षष्ठ भाव में, केतु द्वादश भाव में
- तक्षक कालसर्प दोष – राहु सप्तम भाव में, केतु प्रथम भाव में
- कार्कोटक कालसर्प दोष – राहु अष्टम भाव में, केतु द्वितीय भाव में
- शंखचूड़ कालसर्प दोष – राहु नवम भाव में, केतु तृतीय भाव में
- घातक कालसर्प दोष – राहु दशम भाव में, केतु चतुर्थ भाव में
- विषधर कालसर्प दोष – राहु एकादश भाव में, केतु पंचम भाव में
- शेषनाग कालसर्प दोष – राहु द्वादश भाव में, केतु षष्ठ भाव में
कालसर्प दोष पूजा-विधि
कालसर्प दोष के नाकारात्मक प्रभाव को कुंडली से हटाने के लिए उज्जैन में कालसर्प दोष निवारण पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है। जिसके लिए सम्पूर्ण पूजा-विधि ज्ञात होना बहुत ही जरूरी है, जो की निम्नलिखित है:
पूजा की तैयारी
- शुभ मुहूर्त चयन: पूजा के लिए सर्वप्रथम शुभ मुहूर्त का निर्धारण किया जाता है। अमावस्या, रविवार या नाग पंचमी का दिन पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
- स्थान शुद्धि: पूजा शुरू करने से पहले पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- सामग्री:
- नाग देवता की चांदी की प्रतिमा या तस्वीर
- सफेद फूल, दूध, घी, शहद, चीनी, दही (पंचामृत)
- काले तिल, कुशा घास, सफेद सरसों
- नारियल, लाल कपड़ा, धूप-दीप
विस्तृत पूजा विधि:
- स्नानादि: सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- आसन: लाल या पीले आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- संकल्प: “मैं कालसर्प दोष शांति हेतु यह पूजन कर रहा हूँ” ऐसा संकल्प लें।
- गणेश पूजन: सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा करें।
- नाग देवता आवाहन:
“ॐ अनंताय नम:, ॐ वासुकये नम:, ॐ तक्षकाय नम:” मंत्रों का उच्चारण करते हुए नाग देवता का आवाहन करें। - पंचामृत स्नान: नाग देवता की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं।
- वस्त्र एवं यज्ञोपवीत: नाग देवता को लाल वस्त्र और यज्ञोपवीत अर्पित करें।
- धूप-दीप: धूप, दीप दिखाकर आरती करें।
- नाग गायत्री मंत्र जप:
“ॐ नागदेवाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्” इस मंत्र का 108 बार जप करें। - कथा श्रवण: कालसर्प दोष से संबंधित कथा सुनें या पढ़ें।
- हवन: काले तिल और घी से हवन सम्पन्न करें।
- दान: पूजा के बाद ब्राह्मण को दक्षिणा, वस्त्र, नमक, काले तिल आदि का दान करें।
कालसर्प दोष पूजा के उपाय
- रुद्राभिषेक: शिव मंदिर में भगवान का रुद्राभिषेक करवाएं।
- मंत्र जप: “ॐ ह्रीं ह्रीं सर्पदं स्त्रीं नम:” मंत्र का नियमित जप करें।
- तांत्रिक उपाय: किसी योग्य तांत्रिक से नाग यंत्र प्राप्त कर धारण करें।
- दान कर्म: नाग पंचमी के दिन दूध, काले तिल और कंबल का दान करें।
- व्रत: नाग पंचमी का व्रत रखें और केवल एक समय भोजन करें।
कालसर्प पूजा के लाभ
- जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।
- यह पूजा पारिवारिक कलह समाप्ति में सहयोग प्रदान करती है।
- स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।
- नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है।
- कार्यक्षेत्र में उन्नति प्राप्त होती है।
उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा कैसे कराएं?
उज्जैन में कालसर्प दोष की पूजा कराने से राहु-केतु के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यदि आपकी कुंडली में यह दोष है, तो महाकालेश्वर मंदिर में रुद्राभिषेक और नागदेवता की पूजा अवश्य कराएं। यदि आप उज्जैन में किसी विश्वसनीय पंडित से कालसर्प दोष पूजा कराना चाहते हैं, तो उज्जैन के अनुभवी पंडित योगेश शर्मा जी से नीचे दिये गए नंबर पर संपर्क करें और पूजा की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें।