महापद्म कालसर्प दोष: प्रभाव, उपाय, निवारण पूजा

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को एक गंभीर दोष माना जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार की बाधाएँ और कठिनाइयाँ उत्पन्न करता है। इसमें भी महापद्म कालसर्प दोष सबसे विशेष माना जाता है, क्योंकि यह राहु-केतु की स्थिति के कारण उत्पन्न होता है और व्यक्ति के भाग्य, स्वास्थ्य, करियर और पारिवारिक जीवन को गहराई से प्रभावित करता है।

महापद्म कालसर्प दोष क्या है?

किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रहों के आ जाने से कालसर्प दोष बनता है। महापद्म कालसर्प दोष तब देखने को मिलता है, जब राहु द्वितीय भाव में और केतु अष्टम भाव में स्थित होते हैं। यह दोष 12 प्रकार के कालसर्प योग में से एक है और इसका प्रभाव अत्यंत गंभीर माना जाता है। इसकी उत्पत्ति पौराणिक कथाओं में नागराज तक्षक और महर्षि कश्यप के संघर्ष से जुड़ी हुई है, जो व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।

महापद्म कालसर्प दोष के प्रभाव

महापद्म कालसर्प दोष व्यक्ति के जीवन पर गहरा और गंभीर प्रभाव डालता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को आर्थिक अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है, जहाँ धन का अचानक नुकसान, व्यवसाय या नौकरी में बार-बार बाधाएँ, और अनावश्यक खर्चों की वजह से वित्तीय संकट उत्पन्न होते हैं। स्वास्थ्य के स्तर पर यह दोष पेट संबंधी विकार, हड्डियों की कमजोरी, या गुप्त रोगों के रूप में प्रकट हो सकता है, जो लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों का कारण बनता है।

पारिवारिक जीवन में इसकी वजह से मनमुटाव, विश्वास की कमी, और रिश्तों में तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है। करियर के क्षेत्र में योग्यता और मेहनत के बाद भी सफलता में देरी या प्रमोशन के अवसर बधाएं आती हैं, जिससे व्यक्ति निराशा महसूस करता है। साथ ही, मानसिक स्तर पर यह दोष चिंता, अवसाद, और आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याएँ लाता है, जो जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

महापद्म कालसर्प दोष के उपाय

महापद्म कालसर्प दोष के निवारण के लिए ज्योतिष और धर्मशास्त्रों में कई प्रभावी उपाय बताए गए हैं। सबसे पहले, मंत्र जाप को इस दोष को शांत करने में महत्वपूर्ण माना गया है। नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र या राहु-केतु के विशेष मंत्रों का जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है। इसके साथ ही, दान और सेवा के माध्यम से भी इस दोष के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।

काले तिल, काली उड़द, गुड़, या कंबल का दान करना, साथ ही मंदिर या नदी में घी का दीपक जलाना शुभ परिणाम देता है। रत्न धारण करना भी एक प्रमुख उपाय है, जैसे राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए कटैला स्फटिक धारण करने से ग्रहों की अशुभ स्थिति संतुलित होती है। धार्मिक पूजा-पाठ में हनुमान चालीसा या शिव चालीसा का पाठ करना, साथ ही नाग देवता की पूजा करना और उन्हें दूध चढ़ाना भी अत्यंत लाभकारी है।

इसके अलावा, कालसर्प शांति पूजा को सबसे प्रभावी निवारण माना जाता है, जिसे योग्य पंडित द्वारा विधि-विधान से करवाने पर दोष का प्रभाव समाप्त होता है। इन उपायों के साथ-साथ सकारात्मक विचार, धैर्य और अनुशासित जीवनशैली अपनाकर भी इस दोष के दुष्प्रभावों से छुटकारा पाया जा सकता है। किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लेकर व्यक्तिगत कुंडली के अनुसार उपायों को अपनाना अधिक फलदायी होता है।

महापद्म कालसर्प दोष निवारण पूजा

महापद्म कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए कालसर्प शांति पूजा अत्यंत प्रभावी मानी जाती है। यह पूजा विधिवत रूप से किसी योग्य पंडित द्वारा की जानी चाहिए। इस पूजा को करवाने से व्यक्ति के जीवन मे सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। यह पूजा उज्जैन के अनुभवी पंडित विजय जोशी जी के नेत्रत्व में करवाना अत्यंत प्रभावी माना जाता है।

पूजा की प्रक्रिया:

  1. शुभ मुहूर्त : इस पूजा के लिए पंचांग देखकर अमावस्या या रविवार का दिन चुनें।
  2. सामग्री: विभिन्न सामग्री जैसे:नाग देवता की मूर्ति, काले तिल, गुड़, लाल कपड़ा, घी, धूप और फूल।
  3. मंत्रोच्चार: राहु-केतु के विशेष मंत्रों के साथ हवन किया जाता है।
  4. नाग बलि: चावल और फूल अर्पित कर नाग देवता से क्षमा याचना करें।
  5. भोग और आरती: पूजा के बाद प्रसाद वितरण और आरती अवश्य करें।

ध्यान रखें:

  • पूजा के दिन व्रत रखें और मांस-मदिरा से दूर रहें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।

उज्जैन में महापद्म कालसर्प दोष पूजा कैसे कराये?

यदि आप महापद्म कालसर्प दोष पूजा उज्जैन में कराना चाहते हैं, तो आप अनुभवी पंडित विजय जोशी जी से संपर्क कर सकते हैं। पंडित जी को दोष निवारण पूजाओं का 15 वर्षों से अधिक अनुभव प्राप्त है। अगर आप भी अपनी पूजा बुक करना चाहते है तो आज ही नीचे दिये गए नंबर पर कॉल करे और पूजा बुक करें।

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