पद्म कालसर्प दोष: जानें प्रभाव, उपाय और निवारण पूजा

कालसर्प दोष वैदिक ज्योतिष शास्त्र का एक महत्वपूर्ण योग है, जो राहु और केतु की स्थिति के कारण बनता है। पद्म कालसर्प दोष 12 प्रकार के कालसर्प योगों में से एक है। इस योग में ग्रहों की स्थिति कमल के आकार में होती है, जिससे व्यक्ति के जीवन पर विशेष रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

पद्म कालसर्प दोष कैसे बनता है?

जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में राहु छठे भाव में और केतु बारहवें भाव में स्थित होता है तब पद्म कालसर्प दोष देखने को मिलता है। इस स्थिति में सभी ग्रह राहु-केतु के बीच “कमल” आकृति में व्यवस्थित होते हैं।

पद्म कालसर्प दोष के प्रभाव

व्यक्ति के जीवन में पद्म कालसर्प दोष के कई ऐसे नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते है जिसके कारण व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो की निम्नलिखित है:

1. आर्थिक अस्थिरता और धन हानि

पद्म कालसर्प दोष का सबसे गहरा प्रभाव व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। इस योग के कारण व्यक्ति को धन संचय में लगातार बाधाएं आती हैं, चाहे कितनी भी मेहनत क्यों न की जाए। अचानक खर्चे (जैसे चिकित्सा व्यय, कानूनी समस्याएं) या निवेश में नुकसान होना आदि।

2. पारिवारिक संबंधों में तनाव

यह दोष पारिवारिक सदस्यों के बीच अदृश्य दरार पैदा कर देता है। छोटी-छोटी बातों पर विवाद, रिश्तों में अविश्वास, और भावनात्मक दूरी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। घर में बुजुर्गों का स्वास्थ्य खराब रहना, विवाहित जीवन में असंतोष के प्रभाव देखे जाते हैं।

3. शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर संकट

पद्म कालसर्प दोष व्यक्ति के स्वास्थ्य को दीर्घकालिक रूप से प्रभावित करता है। शारीरिक स्तर पर पाचन तंत्र की समस्याएं, हड्डियों में दर्द, त्वचा रोग, या लाइलाज बीमारियां हो सकती हैं। मानसिक रूप से व्यक्ति अत्यधिक चिंता, निराशा, या फोबिया का शिकार हो जाता है।

4. करियर में रुकावट और असफलता

इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति का करियर पथ अवरुद्ध हो जाता है। योग्यता होने के बावजूद नौकरी में उचित पद या वेतन न मिलना, प्रोजेक्ट्स का अधूरा रह जाना, या कार्यस्थल पर सहकर्मियों से तनाव जैसी चुनौतियां आती हैं। स्वरोजगार करने वालों को ग्राहकों की कमी, नुकसान, या साझेदारी टूटने का डर रहता है। कई बार जातक अपने क्षेत्र में अस्थिरता महसूस करते हुए बार-बार नौकरी बदलने को मजबूर होता है।

5. आत्मविश्वास की कमी और निर्णयहीनता

पद्म कालसर्प योग व्यक्ति के आत्मबल को कमजोर कर देता है। व्यक्ति अपनी क्षमताओं पर संदेह करने लगता है और अवसर आने पर भी निर्णय लेने से डरता है। मन में हमेशा यह भाव रहता है कि “कुछ गलत हो जाएगा”।

6. सामाजिक प्रतिष्ठा को खतरा

कुछ मामलों में यह दोष व्यक्ति की सामाजिक छवि को खराब कर देता है। झूठे आरोप, अपमान, या गलतफहमियों के कारण समाज में मान-सम्मान कम होता है।

पद्म कालसर्प दोष के उपाय

1. राहु-केतु के मंत्रों का नियमित जाप

पद्म कालसर्प दोष के निवारण के लिए राहु और केतु के बीज मंत्रों का जाप अत्यंत प्रभावी माना जाता है। प्रतिदिन सुबह या शाम को शुद्ध होकर ॐ रां राहवे नमः (राहु मंत्र) और ॐ कें केतवे नमः (केतु मंत्र) की कम से कम 108 बार माला जपें।

2. रत्न धारण करना

राहु और केतु के प्रभाव को संतुलित करने के लिए गोमेद (राहु के लिए) और लहसुनिया (केतु के लिए) धारण करना चाहिए। इन्हें धारण करने से पहले किसी योग्य और अनुभवी ज्योतिषी से रत्नों की शुद्धि और मुहूर्त जरूर पूछें।

3. दान और सेवा का महत्व

राहु-केतु की अशुभता कम करने के लिए दान सबसे सरल और प्रभावी उपाय है। प्रत्येक शनिवार या अमावस्या को काले तिल, लोहे की वस्तु, नीले या काले कपड़े, उड़द की दाल, या गुड़ का दान करें। गरीबों को भोजन कराना, कुत्तों को रोटी खिलाना, या नाग देवता की पूजा करके दूध चढ़ाना भी लाभदायक है।

4. शिवलिंग की पूजा और अभिषेक

पद्म कालसर्प दोष के नकारात्मक प्रभाव को शांत करने के लिए भगवान शिव की कृपा पाना सर्वोत्तम मानी जाती है। प्रतिदिन शिवलिंग पर जल, दूध, या बेलपत्र चढ़ाएं और रुद्राभिषेक करवाएं। विशेष रूप से सोमवार या प्रदोष काल में पूजा करने से राहु-केतु का दोष कम होता है।

5. व्रत और उपवास का पालन

शनिवार और अमावस्या के दिन उपवास रखकर केवल फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करें। इस दिन लहसुन-प्याज से बचें और भगवान शिव और हनुमान जी के मंत्रों का जाप करें।

पद्म कालसर्प दोष निवारण पूजा

पद्म कालसर्प दोष के निवारण के लिए निवारण पूजा एक शक्तिशाली और प्रभावी उपाय माना जाता है। यह पूजा विशेष रूप से शनिवार या अमावस्या के दिन किसी योग्य और अनुभवी पंडित की देखरेख में की जानी चाहिए। पूजा की शुरुआत में शिवलिंग या नाग देवता की प्रतिमा स्थापित कर उनका आवाहन किया जाता है। इसके बाद राहु-केतु के मंत्रों (जैसे- ॐ रां राहवे नमः, ॐ कें केतवे नमः) और महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण करते हुए हवन किया जाता है, जिसमें काले तिल, गुड़, घी, और लोबान जैसी सामग्रियों का प्रयोग होता है।

हवन के दौरान नाग देवता को दूध और फूल अर्पित कर उनकी कृपा प्राप्त की जाती है। पूजा के अंत में गरीबों को भोजन, वस्त्र, या अनाज दान देकर पुण्य कमाया जाता है। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य राहु-केतु के अशुभ प्रभावों को शांत करना, जीवन में स्थिरता लाना, और आर्थिक-पारिवारिक समस्याओं से मुक्ति दिलाना है। ध्यान रहे कि यह पूजा शुद्ध मन और पूर्ण विश्वास के साथ की जानी चाहिए, साथ ही इसे किसी प्रामाणिक विद्वान की सलाह से ही संपन्न कराएं ताकि सभी विधि-विधान सही ढंग से पूरे हो सकें।

पद्म कालसर्प दोष पूजा कैसे बुक करे?

पद्म कालसर्प दोष पूजा उज्जैन में बुक करने के लिए सबसे पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी या प्रसिद्ध मंदिर में संपर्क करें। उज्जैन के पंडित विजय जोशी जी को दोष निवारण पूजाओं में 15 वर्षो से अधिक अनुभव प्राप्त है। नीचे दिये गए नंबर पर कॉल करें और अपनी पूजा बुक करें

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