ज्योतिषीय शास्त्रों के अनुसार कालसर्प दोष एक एसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं, जिससे जीवन में विभिन्न बाधाओं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस दोष के निवारण के लिए कालसर्प दोष पूजा का विशेष महत्व है, जिसे शुभ मुहूर्त में संपन्न करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त विशेष रूप से, महाशिवरात्रि और श्रावण मास (अगस्त 2025) के दौरान कालसर्प दोष पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इन तिथियों पर पूजा करने से दोष निवारण में अधिक प्रभावशीलता होती है। कालसर्प दोष पूजा के लिए त्र्यंबकेश्वर और उज्जैन जैसे स्थान विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। इन पवित्र स्थलों पर योग्य पुरोहितों द्वारा विधिपूर्वक पूजा संपन्न कराई जाती है, जिससे व्यक्ति को दोष निवारण में सहायता मिलती है।
2025 कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए शुभ मुहूर्त:
पूजा का शुभ मुहूर्त, ज्योतिषाचार्य पंडित विजय जोशी के अनुसार, 2025 में निम्न तिथियाँ कालसर्प शांति पूजा के लिए विशेष फलदायी हैं। इन तिथियों को चुनते समय चंद्र नक्षत्र, वार और ग्रहों की स्थिति का विशेष ध्यान रखा गया है:
महत्वपूर्ण माह और तिथियाँ:
- जनवरी 2025
- 5 जनवरी (मंगलवार): मूल नक्षत्र, उत्तरा फाल्गुनी योग।
- 22 जनवरी (गुरुवार): पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, शुभ संयोग।
- फरवरी 2025
- 26 फरवरी (महाशिवरात्रि): रुद्राभिषेक के साथ पूजा करने से दोष का तीव्र निवारण।
- जुलाई 2025
- 29 जुलाई (नाग पंचमी): सर्प देवता की पूजा का सर्वोत्तम दिन।
- अगस्त 2025
- 11 अगस्त (सावन सोमवार): शिव आराधना के साथ कालसर्प पूजा।
- नवंबर 2025
- 14 नवंबर (दीपावली अमावस्या): अमावस्या और लक्ष्मी पूजा का संयोग।
उपरोक्त के अतिरिक्त भी कुछ महत्वपूर्ण तिथिया है जो की कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए बहुत ही फलदायी मनी गई है यह तिथियाँ निम्नलिखित है:
महाशिवरात्रि : महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव की उपासना के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन कालसर्प दोष निवारण पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
श्रावण मास (13 जुलाई से 11 अगस्त 2025): श्रावण मास को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है, और इस अवधि में कालसर्प दोष निवारण पूजा अत्यंत शुभफलदायी होती है।
नाग पंचमी (29 जुलाई 2025): नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा का विशेष महत्व होता है, और इस दिन कालसर्प दोष निवारण पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
कालसर्प दोष निवारण के अन्य उपाय
कालसर्प दोष को निवारण करने के लिए विशेष पूजा के अलावा कुछ अन्य प्रभावी उपाय भी अपनाए जा सकते हैं जो की निम्नलिखित है:
- भगवान शिव की आराधना: प्रतिदिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें और महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें। सोमवार के दिन विशेष रूप से शिवलिंग पर दूध, जल, और बेलपत्र चढ़ाकर अभिषेक करें। यह उपाय कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है।
- नाग देवता की पूजा: नाग पंचमी के दिन नाग देवता की विधिपूर्वक पूजा करें। उन्हें दूध, फूल, और चंदन अर्पित करें। साथ ही, नाग गायत्री मंत्र का जाप करें: “ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्”।
- दान-पुण्य: ब्राह्मणों को काले तिल, लोहे के सामान, उड़द की दाल, काले कपड़े, और काले जूते दान करें। साथ ही, गरीबों को भोजन कराएं और चांदी का नाग-नागिन के जोड़े का दान करें। यह उपाय राहु-केतु के अशुभ प्रभाव को कम करने में सहायक होता है।
- मंत्र जाप: प्रतिदिन “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। यह सबसे सरल और प्रभावी उपाय है जो की कालसर्प दोष के निवारण में लाभकारी माना जाता है।
- विशेष अवसरों पर पूजा: महाशिवरात्रि, श्रावण मास, और अमावस्या के दिनों में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करें। इन दिनों में की गई पूजा कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने में अत्यधिक प्रभावी मनी जाती है।
यदि अप भी कालसर्प दोष से पीड़ित है और कालसर्प दोष निवारण पूजा करना चाहते है तो उपरोक्त शुभ मुहूर्त का चयन करके आप अपने जीवन को सुखमय और सरल बना सकते है। कालसर्प दोष की पूजा के लिए कई सारे प्रशिद्ध स्थान है लेकिन सबसे पवित्र स्थान उज्जैन थोड़ा है और यहाँ पर पूजा करवाकर आप इस दोष से जल्द ही मुक्ति पा सकते है।
पूजा और मुहूर्त के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिये गए नंबर पर कॉल करे और पंडित विजय जोशी जी से संपर्क करे पंडित जी को पूजा अनुष्ठान में 15 वर्षो से अधिक अनुभव प्राप्त है :-