कालसर्प दोष ज्योतिष शास्त्र में एक गंभीर दोष माना जाता है, जो किसी व्यक्ति की कुंडली मे राहु और केतु की स्थिति के कारण उत्पन्न होता है। कुलिक कालसर्प दोष इसलिए भी चुनौतीपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति के वंश या कुल पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यह दोष जीवन में अचानक बाधाएं, आर्थिक संकट, पारिवारिक कलह, और स्वास्थ्य समस्याएं लाता है।
कुलिक कालसर्प दोष तब बनता है जब जन्म कुंडली में राहु दूसरे भाव में और केतु आठवें भाव में स्थित होते हैं, और सभी अन्य ग्रह इनके बीच में होते हैं। इस दोष के कारण व्यक्ति को आर्थिक हानि, दुर्घटनाओं, वाणी में कटुता, परिवार में संघर्ष और गुप्त रोगों का सामना करना पड़ सकता है।
कुलिक कालसर्प दोष के प्रभाव
कुलिक कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जो की निन्म्लिखित है :
- आर्थिक हानि: इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति को मौद्रिक हानि, कर्ज़, और वित्तीय अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।
- स्वास्थ्य समस्याएँ: कुलिक कालसर्प दोष के कारण गुप्त रोग, दुर्घटनाएँ, और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- पारिवारिक कलह: इसके प्रभाव से परिवार में संघर्ष, मतभेद, और अशांति का वातावरण बन सकता है।
- वाणी में कटुता: कुलिक कालसर्प दोष के प्रभाव के कारण व्यक्ति की वाणी में कठोरता आ सकती है, जिससे सामाजिक और व्यावसायिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं।
- व्यावसायिक बाधाएं: यह दोष करियर में रुकावटें, नौकरी में अस्थिरता और व्यापार में नुकसान का कारण बन सकता है।
कुलिक कालसर्प दोष के उपाय
कुलिक कालसर्प दोष के निवारण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं जिनसे इस दोष के प्रभाव को कम किए जा सकते है:
- शिव पूजा: प्रतिदिन ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें और भगवान शिव की आराधना करें।
- नागदेवता की पूजा: नाग पंचमी के दिन नागदेवता की पूजा करें और उन्हें दूध अर्पित करें।
- दान-पुण्य: दो रंग वाला कंबल अथवा गर्म वस्त्र दान करें। चांदी की ठोस गोली बनवाकर उसकी पूजा करें और उसे अपने पास रखें।
- राहु-केतु शांति पूजा: राहु और केतु की शांति के लिए विशेष मंत्रों का जाप और हवन करें। राहू और केतु यंत्र की स्थापना करें।
- तीर्थ यात्रा: पवित्र तीर्थ स्थलों की यात्रा करना और वहां पूजा-अर्चना करना शुभ फलदायी माना जाता है।
कुलिक कालसर्प दोष निवारण पूजा
उज्जैन में कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए अनुभवी पंडितों की सहायता ली जा सकती है, जो विधिपूर्वक पूजा संपन्न कराते हैं। यह पूजा विशेष रूप से महाकालेश्वर मंदिर और अन्य पवित्र स्थलों पर की जाती है, जिससे दोष के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
उज्जैन, मध्य प्रदेश में स्थित एक प्राचीन धार्मिक नगरी है, जहाँ महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। यहाँ कालसर्प दोष निवारण के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। उज्जैन जैसे पवित्र स्थल पर कालसर्प दोष निवारण पूजा करना विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और सुख का आगमन होता है।
कुलिक कालसर्प दोष निवारण पुजा विधि
कुलिक कालसर्प दोष के निवारण के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जो निम्नलिखित चरणों में संपन्न होती है:
- संकल्प और गणेश पूजा: पूजा की शुरुआत में संकल्प लिया जाता है, जिसमें पूजा करने वाले का नाम, गोत्र, और उद्देश्य बताया जाता है। इसके बाद, विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है ताकि सभी बाधाएँ दूर हों।
- नाग-नागिन का जोड़ा स्थापित करना: सोने, चांदी, या तांबे से बने नाग-नागिन के जोड़े को स्थापित किया जाता है और उनकी विधिपूर्वक पूजा की जाती है। यह नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।
- रुद्राभिषेक: भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है, जिसमें शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर चढ़ाई जाती है। इसके साथ ही, महामृत्युंजय मंत्र और अन्य वैदिक मंत्रों का जाप किया जाता है।
- नागबली पूजा: यह विशेष अनुष्ठान नाग देवता की शांति के लिए किया जाता है, जिसमें नाग प्रतिमाओं का विधिपूर्वक पूजन और तर्पण किया जाता है।
- पिंड दान और तर्पण: पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंड दान और तर्पण किया जाता है, जिससे पितृ दोष भी शांत होता है।
उज्जैन में कुलिक कालसर्प पुजा कैसे कराएँ ?
उज्जैन में कई अनुभवी पंडित उपलब्ध हैं जो कालसर्प दोष पूजा में विशेषज्ञता रखते हैं। यदि आप भी अपनी पुजा उज्जैन में करना चाहते है तो वहाँ के अनुभवी पंडित विजय जोशी जी से संपर्क करें और पुजा के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें। पंडित जी को पुजा अनुष्ठान मे 15 वर्षों से अधिक अनुभव प्राप्त है। पंडित से विधिवत रूप से पूजा करने के लिए आज ही नीचे दिये गए नंबर पर कॉल करें ओर अपनी पूजा बुक करें।