वासुकि कालसर्प दोष हिंदू ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण दोष माना जाता है, जो किसी व्यक्ति के जीवन में विभिन्न समस्याओं का कारण बन सकता है। जो की किसी व्यक्ति की कुंडली में राहू और केतु की अशुभ स्थिति के कारण उत्पन्न होता है।
वासुकि कालसर्प दोष, कालसर्प योग के 12 प्रकारों में से एक है, जो ज्योतिष शास्त्र में राहु (3वें घर में) और केतु (9वें घर में) की विशेष स्थिति के कारण बनता है। यह दोष व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक, पारिवारिक, और मानसिक स्तर पर प्रभाव, भाई-बहनों से तनाव, यात्रा में बाधाएं, और जीवन के उच्च लक्ष्यों में विलंब तथा स्वस्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।
वासुकि कालसर्प दोष के लक्षण
वासुकि कालसर्प दोष, ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु की विशेष स्थिति से उत्पन्न होता है। यह दोष व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक, पारिवारिक, और मानसिक स्तर पर गहरा प्रभाव डालता है। इसके प्रमुख लक्षण नीचे दिये गए है:
- पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में समस्याएं :-इस दोष के कारण रिश्तों में मनमुटाव, विवाद, या संवादहीनता और पारिवारिक सहयोग का अभाव या धोखे की संभावना रहती है।
- आध्यात्मिक और मानसिक अवरोध :- पूजा-पाठ या आध्यात्मिक गतिविधियों से मन का भटकाव, जीवन में सही दिशा न मिलना या गुरु से दूरी और निर्णय लेने में डर, आत्मविश्वास की कमी, और अकारण चिंता।
- शिक्षा और यात्रा में बाधाएं :- उच्च शिक्षा में विलंब, सड़क दुर्घटना, यात्रा रद्द होना, या अप्रत्याशित खर्च और तीर्थयात्रा या धार्मिक स्थलों पर जाने के प्रयास विफल होना।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं :- अस्थमा, एलर्जी, या फेफड़ों की कमजोरी होना, विशेषकर कंधे, बांह, या कमर में समस्या और मानसिक थकान नींद न आना आदि।
- करियर और आर्थिक चुनौतियां :- बार-बार काम बदलना या प्रमोशन में देरी, ग्राहकों या पार्टनर्स के साथ मतभेद के कारण घाटा तथा कानूनी, या पैतृक संपत्ति से जुड़े विवादों पर पैसा बहना।
वासुकि कालसर्प दोष के उपाय
वासुकि कालसर्प दोष के निवारण के लिए ज्योतिष शास्त्र में कई प्रभावी उपाय बताए गए हैं। सबसे पहले, महामृत्युंजय मंत्र या राहु-केतु के बीज मंत्रों (ॐ रां राहवे नमः, ॐ केतवे नमः) का नियमित रूप से जाप करें, विशेषकर शनिवार और मंगलवार के दिन। इसके अलावा, हनुमान चालीसा का पाठ करने से मानसिक शक्ति बढ़ती है और दोष का प्रभाव कम होता है।
दान-पुण्य करना भी एक बहुत प्रभावी उपाय है, जिसमें काले तिल, उड़द की दाल, लोहे की वस्तुएं, या नीले रंग का कपड़ा दान करना शुभ माना जाता है, खासकर शनिवार को। शिवलिंग पर जल चढ़ाना और नाग देवता की पूजा करने से भी राहु-केतु की अशुभता दूर होती है।
ज्योतिषीय सलाह से गोमेद या लहसुनिया रत्न धारण करने से भी राहु-केतु का प्रभाव संतुलित होता है। इस दोष से प्रभावित व्यक्ति को मांसाहार, नशीले पदार्थों से दूर रहना चाहिए।
वासुकि कालसर्प दोष निवारण पूजा
वासुकि कालसर्प दोष के निवारण के लिए की जाने वाली पूजा एक विशेष आध्यात्मिक अनुष्ठान है, जिसमें राहु-केतु की अशुभ स्थिति को संतुलित करने और नाग देवता वासुकि की कृपा प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। यह पूजा मुख्य रूप से रुद्राभिषेक, नाग पूजा, और कालसर्प दोष निवारण पूजा के संयोजन से की जाती है।
उज्जैन में इस पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि यहां महाकालेश्वर मंदिर और काल भैरव मंदिर की दिव्य ऊर्जा दोष निवारण को प्रभावी बनाती है। उज्जैन के पवित्र क्षिप्रा नदी के तट पर पूजा सामग्री प्रवाहित करने और यहां के मंदिरों में हवन करने से राहु-केतु की विकट स्थिति शांत होती है। पूजा के अंत में, काले तिल, उड़द, या लोहे की वस्तुएं दान करने का विधान है
वासुकि कालसर्प दोष पुजा कैसे कराएं?
वासुकि कालसर्प दोष पूजा एक संवेदनशील और विधि-विधान से पूर्ण अनुष्ठान है, जिसे कुंडली के विश्लेषण के बाद ही किया जाना चाहिए। सबसे पहले एक अनुभवी ज्योतिषी से अपनी कुंडली की जाँच कराएं। शुभ मुहूर्त देखकर पूजा की तिथि तय करें, अमावस्या, नाग पंचमी, या सोमवार को पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
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